8th Pay Commission 2025 केंद्रीय कर्मचारियों के लिए बड़ी खुशखबरी: 8वें वेतन आयोग को कैबिनेट की मंजूरी

8th Pay Commission 2025 केंद्र सरकार ने देश के लगभग 50 लाख कर्मचारियों और करीब 69 लाख पेंशनभोगियों को बड़ी राहत देते हुए 8वें केंद्रीय वेतन आयोग (8th Central Pay Commission) के गठन को मंजूरी दे दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस प्रस्ताव को औपचारिक स्वीकृति दी गई। सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि आयोग के गठन के साथ-साथ इसके कार्यक्षेत्र और ‘टर्म्स ऑफ रेफरेंस’ को भी मंजूरी प्रदान की गई है। इससे पहले जनवरी 2025 में इसकी घोषणा की गई थी, लेकिन अब इसे आधिकारिक रूप से स्थापित कर दिया गया है। यह फैसला केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए एक बड़ी राहत और उम्मीद की किरण लेकर आया है।

आयोग की संरचना, सदस्य और कार्यकाल

8वें वेतन आयोग में कुल तीन सदस्य होंगे जो वेतन संरचना और सेवा शर्तों पर अपनी सिफारिशें तैयार करेंगे। इस आयोग की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट की पूर्व न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई करेंगी। आईआईएम बैंगलोर के प्रोफेसर पुलक घोष को पार्ट-टाइम सदस्य बनाया गया है, जबकि पंकज जैन, जो वर्तमान में पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय में सचिव हैं, उन्हें आयोग का सदस्य-सचिव नियुक्त किया गया है। आयोग को गठन की तारीख से 18 महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंपनी होगी। इस अवधि में आयोग वेतन ढांचे, भत्तों, पेंशन और अन्य लाभों का गहन अध्ययन कर अपनी सिफारिशें देगा।

8th Pay Commission 2025

आयोग का कार्यक्षेत्र और उद्देश्य

8वां वेतन आयोग केवल वेतन वृद्धि का निर्धारण नहीं करेगा, बल्कि यह देश की आर्थिक स्थिति, राजकोषीय अनुशासन और वित्तीय स्थिरता को ध्यान में रखते हुए संतुलित सिफारिशें तैयार करेगा। सरकार ने आयोग को निर्देश दिया है कि वह अपनी रिपोर्ट तैयार करते समय यह सुनिश्चित करे कि सिफारिशों से राष्ट्रीय वित्तीय संतुलन पर कोई नकारात्मक प्रभाव न पड़े। आयोग विकास योजनाओं के लिए आवश्यक संसाधनों और पेंशन योजनाओं की लागत का भी विश्लेषण करेगा। इसके साथ ही यह देखा जाएगा कि राज्य सरकारों के बजट पर इन सिफारिशों का क्या असर पड़ेगा, क्योंकि कई राज्य बाद में केंद्र की सिफारिशों को लागू करते हैं।

आयोग का आर्थिक विश्लेषण और तुलनात्मक अध्ययन

आयोग का एक महत्वपूर्ण कार्य यह भी होगा कि वह केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन की तुलना निजी क्षेत्र और सार्वजनिक उपक्रमों (CPSUs) में कार्यरत कर्मचारियों के वेतन और सुविधाओं से करे। इसके अलावा, आयोग मुद्रास्फीति, जीवन-यापन की लागत, और सरकारी खर्चों के अनुपात में वेतन ढांचे की समीक्षा करेगा। इससे यह तय किया जाएगा कि कर्मचारियों की आय वास्तविक रूप से उनकी आवश्यकताओं और बाजार की स्थिति के अनुरूप है या नहीं। आयोग का यह तुलनात्मक अध्ययन न केवल कर्मचारियों की संतुष्टि बल्कि सरकार के वित्तीय संतुलन के लिए भी महत्वपूर्ण साबित होगा।

8वें वेतन आयोग की सिफारिशों का महत्व और संभावित प्रभाव

भारत में प्रत्येक 10 वर्षों के अंतराल पर वेतन आयोग गठित किया जाता है ताकि सरकारी कर्मचारियों की आय और पेंशन संरचना को अद्यतन किया जा सके। पिछला यानी 7वां वेतन आयोग वर्ष 2016 से लागू हुआ था और उसी क्रम में 8वें आयोग की सिफारिशें 1 जनवरी 2026 से लागू होने की संभावना है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार फिटमेंट फैक्टर में वृद्धि हो सकती है, जिससे कर्मचारियों के बेसिक पे में उल्लेखनीय बढ़ोतरी होगी। साथ ही, पे-मैट्रिक्स में भी संशोधन होने की संभावना है। इन सिफारिशों का प्रभाव न केवल केंद्र बल्कि राज्य सरकारों और सार्वजनिक उपक्रमों पर भी पड़ेगा, क्योंकि वे आमतौर पर केंद्र के मॉडल का अनुसरण करती हैं।

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8वें वेतन आयोग से जुड़े 5 महत्वपूर्ण प्रश्न (FAQs)

1. प्रश्न: 8वां वेतन आयोग कब गठित किया गया है?
उत्तर: 8वें केंद्रीय वेतन आयोग को केंद्र सरकार ने अक्टूबर 2025 में औपचारिक रूप से मंजूरी दी है, हालांकि इसकी घोषणा जनवरी 2025 में की गई थी।

2. प्रश्न: 8वें वेतन आयोग की अध्यक्ष कौन हैं?
उत्तर: इस आयोग की अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट की पूर्व जज रंजना प्रकाश देसाई को नियुक्त किया गया है।

3. प्रश्न: आयोग अपनी रिपोर्ट कब तक देगा?
उत्तर: आयोग को गठन की तारीख से 18 महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंपनी होगी, यानी रिपोर्ट 2026 के मध्य तक आने की संभावना है।

4. प्रश्न: 8वें वेतन आयोग की सिफारिशें कब लागू होंगी?
उत्तर: यदि सब कुछ निर्धारित समय पर हुआ, तो आयोग की सिफारिशें 1 जनवरी 2026 से प्रभावी होने की संभावना है।

5. प्रश्न: इससे किन लोगों को सीधा लाभ मिलेगा?
उत्तर: इस आयोग से लगभग 50 लाख केंद्र सरकार के कर्मचारी और करीब 69 लाख पेंशनर्स सीधे तौर पर लाभान्वित होंगे। साथ ही, राज्य सरकारों के कर्मचारी भी अप्रत्यक्ष रूप से इसका फायदा पा सकते हैं।

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